रोज मारता है रोज मरता है रोज प्रस्फुटित होता है रावण। रोज मारता है रोज मरता है रोज प्रस्फुटित होता है रावण।
दो पल और साथ...। दो पल और साथ...।
"कागज़ भी जब खिल जाते हैं, स्याही से जब भर जाते हैं...! "कागज़ भी जब खिल जाते हैं, स्याही से जब भर जाते हैं...!
मन की व्याकुलता के बारे में कुछ...। मन की व्याकुलता के बारे में कुछ...।
निगल भी न सकेे, वो फास है जिंदगी...! निगल भी न सकेे, वो फास है जिंदगी...!
इतनी दूर तुम न जाना कि लौटकर भी तुम फिर वापस आ न सको। इतनी दूर तुम न जाना कि लौटकर भी तुम फिर वापस आ न सको।